Tuesday, April 6, 2010

अकादमी द्वारा किए गए कार्यक्रमो (2008 -2009 ) का विस्तृत विवरण

अकादमी ने 5 अगस्त, 2008 को 'बिदेसिया' जो कि प्रख्यात भोजपुरी लोकसर्जक भिखारी ठाकुर की रचना है, का मंचन कराया, जिसका निर्देशन संजय उपाध्याय ने किया। 6 अगस्त, 2008 को मैथिली नाटक 'पाठक लोक' (निर्देशनः प्रकाश झा) का मंचन हुआ। इसके अतिरिक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम भी सम्पन हुए।

अकादमी ने 24 दिसम्बर, 2008 को राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान (डिम्ड विश्वविद्यालय), दिल्ली में 'पुरबिया मनई आ साहित्य : नयकी चुनौती' शीर्षक संगोष्ठी का आयोजन किया। इसकी अध्यक्षता डॉ० केदार नाथ सिंह ने की, जबकि आतिथ्य श्री केशव चंद्र(अतिरिक्त सचिव,संस्कृति व विशिष्ट सचिव, मुख्यमंत्री, दिल्ली) का रहा। प्रतिभागी थे- श्री जयशंकर गुप्त तथा डॉ० रामाशंकर श्रीवास्तव। इसमें भोजपुरी व मैथिली जनों प्रवासियों के जीवन व साहित्य संस्कृति के विभिन्न प्रसंगों पर गहन चर्चा हुई।

अकादमी ने 20 जनवरी, 2009 को गणतंत्र दिवस-उत्सव का आयोजन किया। इसकी अध्यक्षता प्रसिद्व आलोचक प्रो० नित्यानंद तिवारी ने की। यह एक नए तरह का आयोजन था, जहॉँ विशाल जन-समूह के सम्मुख देशं में पहली बार समकालीन गंभीर कविताएँ पढ़ी गयीं, जिनका न केवल श्रव्य महत्व है, बल्कि पाठ्य भी। ये कविताएँ आस्वाद से आगे हमें ले जाती हैं। मैथिली में कविता पाठ करने वाले कवि थे- श्री रवींद्र नाथ ठाकुर, डॉ० गंगेश गुंजन, श्री रमण कुमार सिंह, श्री रवींद्र लाल दास, श्री सारंग कुमार, ऑ० कामिनी कामायनी तथा भोजपुरी में कविता पाठ करने वाले थे- डॉ० चंद्रदेव यादव, प्रो० शत्रुन कुमार, श्री मनोज भावुक, श्री प्रमोद तिवारी तथा सुश्री अलका सिन्हा। मुख्य अतिथि थीं- दिल्ली सरकार की कला, संस्कृति एवं भाषा मंत्री श्रीमती किरण वालिया।

साहित्य अकादमी से सम्मानित साहित्यकार श्री मंत्रेश्वर झा का एकल कविता-पाठ 19 फरवरी , 2008 को किया गया। श्री मंत्रेश्वर झा ने इस अवसर पर कविता-पाठ के अलावा अपनी संरगृतियॉ भी सुनाई। अध्यक्षता डॉ० गंगेश गुंजन की थी।

अकादमी ने 15, 16, 17 एवं 18 मार्च, 2009 को ÷लोक संस्कृति प्रसंग' का आयोजन किया। इसमें 15 मार्च को भोजपुरी भाषा में धोबियउ व कॅहरउ नाच का आयोजन किया गया। यह अपने तरह का दिल्ली में प्रथम प्रयास था। विशिष्ट अतिथि प्रख्यात नृत्यांगना डाफ० षोभना नारायण थीं। 16 मार्च को थारू जनजाति के नाच का आयोजन किया गया। थारू जनजाति ने प्रथम बार दिल्ली में यह प्रस्तुति दी थी। विशिष्ट अतिथि (कला, संस्कृति, भाषा व शिक्षा सचिव, दिल्ली) श्रीमती रीना रे थी। 17 मार्च को मैथिली का सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुआ, जो 'रंगभूमि' की ओर से था। विशिष्ट अतिथि प्रख्यात गायिका श्रीमती सविता देती थीं। 18 मार्च को मैथिली का सांस्कृतिक नृत्य नाटक 'जट जटिन' मंचित हुआ, जिसकी प्रस्तुति ÷स्मृति ट्रस्ट' की ओर से हुई। विशिष्ट अतिथि प्रख्यात ध्रुपद गायक श्री अभय नारायण मल्लिक थे।

रात्रि समय सजय चौधरी निर्देषित मैथिली नाटक का मंचन हुआ, जिसका शीर्षक था- 'किंकर्तव्यविमूढ़'। यह नाटक हमारे समय की त्रासदी को अन्यतम ढंग से बयॉ करता है। विशिष्ट अतिथि थे- प्रो० देवेन्द्र राज अंकुर।

इस द्विदिवसीय संगोष्ठी में साहित्य व संस्कृति पर गहरी चर्चा हुई तथा साहित्य के ऐसे प्रश्न भी चर्चित हुए, जो अन्यथा अनुद्घाटित थे।

इस वित वर्ष अकादमी के द्वारा 8 गैर सरकारी संस्थाओं को कार्यक्रम करने में सहयता की गई जिनके द्वारा साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम किये गये।

मैथिली-भोजपुरी की 130 पुस्तकों का क्रय इस वित वर्ष में किया गया।

28 मार्च व 29 मार्च को अकादमी ने अत्यंत विशिष्ट संगोष्ठियॉ आयोजित की। ये संगोष्ठियॉ राष्ट्रीय थीं तथा उनका विषय साहित्य व संस्कृति के महत्वपूर्ण विषयों में नया उन्मेष लाने वाले थे। भोजपुरी की राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय था- 'समकालीन सर्जनात्मकता आ साहित्य' तथा 'समकालीन सर्जनात्मकता आ संस्कृति'। यह संगोष्ठी दो सत्रों में थी। उद्घाटन किया- प्रख्यात आलोचक व सरस्वती सम्मान विजेता श्री षम्सुर्रहमान फार्रूकी ने। अन्य प्रतिभागी थे- श्री गोपेश्वर सिंह, श्री रवीन्द्र श्रीवास्तव, 'जुगानी भाई', डॉ० नागेंद्र प्रसाद सिंह, डॉ० सिद्धार्थ शिवशंकर, दूसरे सत्र में प्रतिभागी थे- डॉ० तैयब हुसैन पीड़ित, प्रो० वागीष शुक्ल, डॉ० प्रेम प्रकाश पाण्डेय। अध्यक्षता की डॉ० आशा रानी लालने। रात्रि में महेंद्र प्रसाद सिंह के निर्देशन में भोजपुरी नाटक ÷कचोट' का मंचन हुआ। विशिष्ट अतिथि थे- श्री सुरेंद्र कौल, महानिर्देश्क, सी०सी०आर०टी०। यह नाटक नागरिक चेतना को जगाता है। दूसरे दिन 29 मार्च, 09 को मैथिली की राष्ट्रीय संगोष्ठी ÷समकालीन रचनाकारक दायित्व : भाषा, साहित्यक संदर्भ में' तथा ÷समकालीन रचनाकारक दायित्व' समाज, संस्कृति संदर्भ में विषयों पर दो सत्रों में आयोजित की गयी। सत्रों के प्रतिभागी थे- डॉ० विद्यानाथ विदित, डॉ० शेफालिका वर्मा, डॉ० देव शकर नवीन नवीन, डॉ० नीता झा, श्री कुमार सैलेंद्र, श्री प्रदीप बिहारी, डॉ० मोहन भारद्वाज। डॉ० 'विदित' व 'भारद्वाज' ने क्रमशः प्रथम व द्वितीय दो सत्रों की अध्यक्षता की। समकालीनता सिर्फ कालवाची नहीं है तथा रचनाकार का दायित्व मनुष्यता का विस्तार है।

30 अगस्त, 2009 को इण्डिया इंटरनेश्नल सेंटर, नई दिल्ली में ÷मैथिली-भोजपुरी भाषा-भाषियन के योगदान' विषय पर संगोष्ठी आयोजित हुई, जिसकी अध्यक्षता प्रख्यात आलोचक प्रो० निर्मला जैन ने की। विशिष्ट अतिथि थे- श्री सजय गुप्त, संपादक, दैनिक जागरण। वक्ता थे- डॉ० शेफालिका वर्मा, श्री वीरेन्द्र कुमार बरनवाल, श्री जयशंकर गुप्त तथा श्री रवींद्र कुमार दास। सान्निध्य अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ० गिरीश चंद्र श्रीवास्तव का था।

30 सितंबर, 2009 को राजेंद्र भवन, नई दिल्ली में 'गद्य प्रसंग' का आयोजन किया गया, जिसमें गद्य की विभिन्न विधाओं में प्रतिभागियों ने पाठ किया। प्रतिभागी थे। सुश्री कामना झा (मैथिली कहानी), डॉ० सतीश यादव(भोजपुरी संस्मरण), मानवर्द्धन कण्ठ (मैथिली रिपोर्ताज), श्री दिनेश कुमार (भोजपुरी आलोचना-निबंध), विशिष्ट अतिथि थे- कवि, अनुवादक श्री अक्षय कुमार।